करवाचौथ के व्रत से भी कठिन हैं हरितालिका तीज का व्रत, जानिए क्या है विशेषता

खबरें अभी तक। हम ऐसे विशेष व्रत के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसके नियम करवाचौथ के व्रत से भी कठिन हैं हरितालिका के इस व्रत में महिलाएं दूसरे दिन जल पान ग्रहण करती है। खाना खाती है। हरितालिका का व्रत जिसे पहाड़ी भाषा में चिड़ियों का व्रत भी कहा जाता है। इस व्रत के दौरान जहां पर महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए शिव और पार्वती माता की पूजा करते हैं।

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हिमाचल प्रदेश व्रत एवं त्योहारों की धरती है और यहां पर कई तरह के व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। जिनमें एक है हरितालिका का व्रत जिसे पहाड़ी भाषा में चिड़ियों का व्रत भी कहा जाता है। इस व्रत के दौरान जहां पर महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए शिव और पार्वती माता की पूजा करती हैं। विभिन्न प्रकार के फूलों से फलों से और हरी पत्तियों से शिव भगवान की पूजा अर्चना की जाती है। आरती की जाती है और करवा चौथ की तरह ही महिलाएं इस व्रत में निराहार रहकर अपने पति की लंबी आयु के लिये दुआएं करती हैं। तीज के दिन ये व्रत शुरू होता हैं और गणेश चतुर्थी के दिन ये व्रत पूजा आरती के बाद खोला जाता हैं।

व्रत की बिशेषता

हम आज आपको ऐसे  विशेष ब्रत के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसके नियम करवाचौथ के व्रत से भी कठिन हैं हरितालिका के इस ब्रत में महिलाये दूसरे दिन जल पान ग्रहण करती हैं और खाना खाती हैं। जबकि करवाचौथ के व्रत के दिन महिलाएं रात को चन्द्रमा की पूजा के बाद भोजन ग्रहण कर लेती हैं। इस ब्रत में महिलाएं व्रत के दौरान जल फल कुछ भी ग्रहण नहीं करती।

क्यों मनाया जाता हैं ये व्रत

कहते हैं कि यह व्रत सर्वप्रथम पार्वती माता ने शिव भगवान को पाने के लिए किया था और तब से महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए और इस व्रत को विधिवत पूर्ण रुप से करती है और विभिन्न प्रकार के छोटे छोटे समूहों में इकट्ठे होकर या मंदिरों में महिलाएं ग्रुपों में इस व्रत को करती हैं। और इस व्रत के उपरांत दूसरे दिन खाना पुरुष वर्ग के द्वारा बनाया जाता है और महिलाओं को परोसा जाता है।