एरेंज मैरिज, लव मैरिज, रंनिग मैरिज और अब पढ़िए ‘वॉकिंग मैरिज’ के बारे में

ख़बरें अभी तक। आपने लव मैरिज, एरेंज मैरिज, रनिंग मैरिज तो सुनी होगी लेकिन क्या आपने ‘वॉकिंग मैरिज’ का नाम सुना है, जी हां आज हम आपको ऐसी एक अनोखी मैरिज के बारे में बताएंगे जो दक्षिण-पश्चिमी चीन की मूसो जनजाति में परंपरा है. जिसके बारे में जानकर शायद आपको हैरानी हो. यहां पर लोग शादी के बंधन में बंधे बिना ही अपने पार्टनर के साथ रहते हैं. इनकी परंपराएं दूसरों से बिल्कुल अलग हैं. एक बात चौंकाने वाली ये भी है कि बच्चों के पिता उनके साथ नहीं बल्कि अलग रहते हैं.

यहां बच्चों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पिता की नहीं बल्कि मां और उसके घर वालों की होती है. इसे दुनिया की आखिरी मातृसत्तात्मक व्यवस्था वाला समाज कहा जाता है जहां महिलाएं ही ‘बॉस’ होती हैं. वहीं इस व्यवस्था को ‘वॉकिंग मैरिज’ का नाम दिया गया है जहां पुरुष-महिला एक साथ रहते तो नहीं हैं लेकिन सोते साथ में हैं. परंपरा के मुताबिक, चाहे कितने लंबे समय का रिश्ता क्यों ना हो, महिलाएं और पुरुष एक साथ नहीं रहते हैं. यहां महिलाएं एक से ज्यादा पार्टनर चुनने के लिए भी स्वतंत्र होती हैं.

13 वर्ष की उम्र में ही लड़कियों को अपने समुदाय के किसी भी पुरुष से प्रेम करने का अधिकार मिल जाता है. पुरुष दिन भर फिशिंग और शिकार जैसे काम करते हैं और रात में लड़की के घर जाते हैं लड़की के वयस्क होते ही उसे एक अलग बेडरूम दे दिया जाता है और वह अपने पार्टनर को रात बिताने के लिए घर बुला सकती है. अगर इस संबंध से उनके बच्चे होते हैं तो इसकी जिम्मेदारी मां की होती है. वह अपनी बहनों की मदद से उनका भरण-पोषण करती है.

बच्चे के भरण-पोषण के लिए पिता से किसी भी तरह की आर्थिक सहायता नहीं मिलती है. महिला के कमरे के हैंडल पर पार्टनर का हैट टंगा होता है ताकि कोई दूसरा पुरुष वहां प्रवेश ना करे. कई बार ये ‘वन नाइट स्टैंड’ गहरे रिश्ते में बदल जाते हैं और कई बार आजीवन साझेदारी के रूप में भी चीन की जनजाति में ‘वॉकिंग वेडिंग’ का मतलब अनिवार्य तौर पर कैजुअल रिलेशनशिप ही नहीं होता है. उनका यह रिश्ता जिंदगी भर भी चल सकता है. शादी नाम की संस्था को बचाए रखने जैसा कोई लक्ष्य ना होने की वजह से यहां पुरुष और महिलाओं के बीच संबंध का एकमात्र आधार प्यार होता है. जब तक दो लोग एक-दूसरे का साथ पसंद करते हैं, वे साथ रहते हैं. बच्चे, सामाजिक दबाव या आर्थिक स्थिति जैसी वजहें काम नहीं करतीं. यहां पर ये आम बात है कि महिला को यह नहीं पता हो कि उसके बच्चे का पिता कौन है लेकिन समाज में इसे लेकर किसी भी तरह की रूढ़िवादी सोच नहीं है.

मूसो महिलाएं कुछ खास अवसरों के जश्न पर भी अपने बच्चे के पिता को बुलाती हैं. इस समाज में पुरुष अपनी बहनों के बच्चों के लिए ‘अंकल’ की जिम्मेदारी निभाते हैं अगर किसी महिला के बच्चे नहीं हो पाते हैं तो वे अपने चचेरे भाइयों के बच्चों को आधिकारिक तौर पर गोद ले लेती हैं. महिलाओं के साम्राज्य’ के नाम से मशहूर इस गांव में करीब 40,000 लोग रहते हैं. यहां महिलाएं ही अधिकतर महत्वपूर्ण फैसले लेती हैं. वे ही घर के आर्थिक मामले संभालती हैं, संपत्ति की मालकिन होती हैं और बच्चों पर भी उनका पूरा अधिकार होता है.

लेकिन वहीं अब मूसो जनजाति की युवा पीढ़ी पर बाहरी दुनिया का असर पड़ रहा है. पिछले कुछ सालों में इसका एक नकारात्मक पहलू सामने आया है. पर्यटन के उभार के साथ यहां परंपरा के स्वरूप को बचाए रखने की चुनौती है. कई पर्यटक फ्री सेक्स, होटल, रेस्टोरेंट के लालच में आते हैं. थाइलैंड की सेक्स वर्कर्स को मूसो की पारंपरिक वेशभूषा पहनाकर इस गांव में भेजा जा रहा है.