ऐसा अध्यापक जो तीन वर्षो से मुफ्त में दे रहे छात्रों को शिक्षा

खबरें अभी तक। प्राचीनकाल में शिक्षा ग्रहण करने का जरिया गुरुकुल हुआ करते थे जहाँ छात्र वर्षों घरों का त्याग कर आश्रमों में गुरुओं की सेवा कर ज्ञान की प्राप्ति करते थे| समय बदलता गया और जहाँ गुरुकुल हुआ करते थे उस जगह बड़े बड़े शिक्षण संस्थान बन गये या यूँ कहें कि शिक्षा का व्यापारीकरण आरम्भ हो गया|जहाँ गुरुकुलों  में शिष्य मात्र श्रमदान कर शिक्षा करते थे वहीँ उसकी जगह भारी भरकम स्कूल फीसों ने ले ली|शिक्षक भारी वेतन लेकर पढाते है तब भी संतुष्टि ना होने के कारण ट्यूशन के जरिये कमाई के साधन ढूँढ़ते है|

लेकिन वर्तमान परिवेश में कुछ ऐसे भी शिक्षक है जो असल में शिक्षक होने के नाम को चरितार्थ कर रहे है|ऐसे ही शिक्षक है नूरपुर उपमंडल के तहत आते राजकीय वरिष्ठ विद्यालय धनेटी के अमरनाथ|अमरनाथ ड्राइंग के शिक्षक थे और इसी स्कूल में पढ़ाते थे|उन्हें सेवानिवृत हुए तीन साल हो गये है बाबजूद उनमें इतना जूनून है कि वो आज भी अपने पेशे को अंजाम दे रहे है और वो भी पूरी तरह निशुल्क|सुनकर हैरानी जरूर होती है कि आज जहाँ इस गलाकाट दौड़ में इंसान पैसे के पीछे भाग रहा है,जहाँ सरकारी तन्त्र में इतना भ्रष्टाचार है कि कोई कर्मी अपनी ड्यूटी के दौरान भी उसका सही से निर्वहन नहीं करता ऐसे में अमरनाथ जैसे इन्सान सबसे बड़ा उदाहरण है जो तीन वर्षों से अनवरत इस विद्यालय में अपनी सेवाएँ दे रहे है|

अमरनाथ की माने तो उन्होंने उन्तालीस वर्ष शिक्षा विभाग को दिए है और इसी विद्यालय से वो सेवानिवृत हुए थे|उनकी सेवानिवृति के बाद विद्यालय में ड्राइंग विषय का कोई भी अध्यापक नहीं आया|विद्यार्थियों की पढाई बाधित ना हो इसलिए उन्होंने स्कूल में लगातार अपनी सेवाएँ देना जारी रखी|अमरनाथ सिर्फ ड्राइंग विषय ही नहीं अपितु किसी भी कक्षा में अध्यापक की उपस्थिति ना होने पर वो उस विषय को भी पढ़ाते है|या यूँ कहें कि वो एक ऐसी स्टेपनी  है जो हर समय हर स्थिति में सेवाएँ देने के लिए तत्पर है|सुबह सबसे पहले स्कूल पहुंचना,विद्यालय परिसर की साफ़ सफाई देखना और प्रार्थना सभा का आयोजन करना सब वही करते है|

विद्यालय में कोई भी डीपी अध्यापक ना होने के कारण उनकी पूर्ती भी अमरनाथ ही करते है|अमरनाथ का कहना है शिक्षक एक राष्ट्रीय निर्माता है और जब उन्होंने शिक्षा विभाग में अपनी सेवाएँ देना आरम्भ की थी तो उन्होंने शपथ ली थी कि जब तक उनका स्वास्थ्य इजाजत देगा वो अपनी सेवाएँ जारी रखेंगे|

विद्यालय के प्रिंसिपल करनैल पठानिया की माने तो जब उन्होंने इस विद्यालय में जोइनिग दी तो उन्होंने अमरनाथ को सबसे ज्यादा कर्तव्यनिष्ठ पाया लेकिन जब उन्हें यह पता चला कि वो सेवानिवृति के बाद भी अपनी सेवाएँ दे रहे है तो उनके लिए यह सबसे हैरान करने वाला और उनके प्रति और सम्मान को बढ़ाने वाला था|

स्कूल में पढने वाले हर छात्र अमरनाथ की तारीफ़ करते नही थकते और उनके लम्बे और स्वास्थ्य जीवन की कामना कर रहे है| अमरनाथ की सेवाएँ इस समाज के लिए एक बहुत बड़ा उदाहरण है और उम्मींद करते है उनकी इन सेवाओं को देखकर समाज प्रेरणा ले|