HC ने शिक्षण कर्मचारियों के बैंक खातों के ट्रांसफर को बताया सरकार की मनमानी, प्रस्ताव खारिज

खबरें अभी तक। बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज महाराष्ट्र सरकार के एक प्रस्ताव को खारिज कर दिया जिसमें वह ठाणे के सरकारी स्कूलों के अध्यापन और गैर-अध्यापन कर्मचारियों के सैलेरी अकाउंट को एक विशेष सहकारी बैंक में बदलने के लिए कहा जा रहा था। न्यायमूर्ति बीआर गवाई और बीपी कोलाबावल्ला की पीठ ने इसे को मनमानी करार दिया और नीति को अचानक बदलने के सरकार के निर्णय के पीछे तर्क पर सवाल उठाया।

बेंच ठाणे जिला शिक्षा विभाग द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें सरकार के इस फैसले को चुनौत दी गई थी। याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, उनके पास ठाणे जिला सेंट्रल को-ऑपिटेटिव बैंक में पहले से ही सैलेरी अकाउंट है, लेकिन राज्य सरकार चाहती है कि हम अपने अकाउंट को ठाणे जनता सहकारी बैंक में स्थानांतरित कर दें। उन्होंने कहा कि सरकार ने अपने बैंक खातों को स्थानांतरित करने तक वेतन का वितरण रोकने की धमकी दी थी। इस महीने की शुरुआत में, पीठ ने राज्य सरकार के ऐसे निर्णय पर भी रोक लगा दी जिसमें सभी शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों का अपना अकाउंट शहर में एक सहकारी बैंक में ट्रांसफर करना अनिवार्य था।

हालांकि राज्य सरकार ने भी इस बात को मानने से इनकार कर दिया कि ठाणे के स्कूल कर्मचारियों के सैलेरी अकाउंट को ट्रांसफर करने का उनका निर्णय गलत था। जब एक बेंच ने पूछा कि खातों को एक सहकारी बैंक से दूसरे में स्थानांतरित करने की आवश्यकता क्यों है तो राज्य के वकील राम आप्टे ने कहा कि सरकार ने सिर्फ अपना मन बदल दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य के पास कभी भी अपना मन बदलने की शक्ति है। हालांकि बेंच ने कहा कि ऐसी शक्ति को मनमाने ढंग से इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। मन के इस तरह के बदलाव के पीछे एक ठोस कारण होना चाहिए।

बेंच ने कहा कि ठाणे जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के खातों को ठाणे जनता सहकारी बैंक को खातों में स्थानांतरण के करने के पीछे के इरादे ठीक नही लग रहे हैं। निर्णय कानून में टिकाऊ नहीं है और सरकार के प्रस्ताव को अलग रखा गया है।