Gurugram: इस डर से तीन साल तक घर में रहें कैद मां-बेटा, नहीं देखी सूरज की रोशनी… कैसे रहे जिंदा?

खबरें अभी तक: कोरोना जिसने हजारो लाखों परिवारो को खत्म कर दिया करोड़ो लोगों की जान ले ली .उसका डर लोगों के दिल और दिमाग में इस कदर बैठा है की आज भी लोग उसे उभर नही पा रहे है.आप ने कभी ये सोचा की किसी ने तीन साल तक आपने आप को एक कामरे मे बंद कर के रखा हो जिसने तीन साल तक सूरज की किरण भी नही देखी हो.

गुरुग्राम थाना सेक्टर-29 क्षेत्र के मारूति विहार सोसाइटी में एक महिला ने कोविड संक्रमण के भय के चलते तीन साल तक खुद को और अपने 10 साल के बच्चे को घर के अंदर कैद करके रख रखा था। तीन साल बाद महिला के पति की शिकायत पर पुलिस ने स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ महिला और उसके बच्चे को घर से निकाला है।

गुरुग्राम: कोविड के डर से 10 साल के बेटे संग 3 साल तक घर में कैद रही महिला,  पति को भी नहीं आने दिया - Gurugram Woman with 10 year old son

सेक्टर-10 स्थित नागरिक अस्पताल में महिला और बच्चे के प्राथमिक परीक्षण के बाद दोनों को रोहतक के पंडित भगवत दयाल पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल इंस्टीट्यूट भेज दिया गया है। डाक्टरों के मुताबिक महिला को मानसिक समस्या से ग्रस्त है। उसने संक्रमण के प्रति अपनी शंका को ही वास्तविकता समझ लिया था।

Gurugram:कोविड के डर से 10 साल के बेटे संग तीन साल तक घर में रही कैद, पति  को भी नहीं आने दिया, घर बना कबाड़ - Gurugram Fear Of Covid Woman Locked

मूल रूप से पश्चिम बंगाल के रहने वाले सुजान मांजी अपनी पत्नी मुनमुन मांजी और 10 वर्षीय बेटे शोभित के साथ मारुति विहार कालोनी में रहते हैं। सन 2020 में कोविड के दौरान लॉकडाउन होने पर सुजान मांजी ने भी कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया। कुछ दिन बाद कोविड नियमों में ढील देने के बाद मुनमुन ने अपने बेटे सहित खुद को संक्रमण फैल जाने के डर से फ्लैट में कैद कर लिया। यहां तक कि अपने पति सुजान मांझी को भी फ्लैट के अंदर आने से इनकार कर दिया।

पति को ये कहकर नहीं घुसने दिया घर के अंदर

मुनमुन की दलील थी कि वह ऑफिस जाता है इसलिए बाहर से संक्रमण आ सकता है। सुजान ने अपने परिवार, रिश्तेदार, ससुराल वाले सभी से फोन पर बात करवा कर मुनमुन को आश्वस्त करने की कोशिश की लेकिन वह नहीं मानी। इसके बाद सुजान वहीं सोसायटी में ही किराए पर फ्लैट लेकर रहने लगा। इन तीन सालों में सुजान अपनी पत्नी मुनमुन व बेटे के लिए राशन, सब्जियां, दूध आदि दैनिक जरूरतों की चीजों को मुनमुन वाले फ्लैट के बाहर रख दिया करता था।

सिलेंडर खत्म होने पर इंडक्शन कुकिंग प्लेट रख दी। वह बिजली का बिल और किराया आदि चुकाता रहा। बेटे की क्लास ऑनलाइन फोन पर होती थी। मुनमुन की मांग थी कि जब तक 12 वर्ष तक के बच्चों के लिए वैक्सीन नहीं आ जाती तब तक वह स्वयं को और अपने बेटे को घर से बाहर नहीं निकलने देगी।

गुरुग्राम: कोविड के डर से 10 साल के बेटे संग 3 साल तक घर में कैद रही महिला,  पति को भी नहीं आने दिया - Gurugram Woman with 10 year old son

तीन साल बाद भी नहीं तैयार हुई मुनमुन तो पति ने की शिकायत

अब जबकि कोविड से काफी हद तक राहत मिल जाने के बाद पति ने एक बार फिर से फ्लैट खोलने और बेटे को बाहर निकलने की मांग की तो मुनमुन के रुख में कोई बदलाव नहीं आया। इसके बाद सुजान ने पुलिस से गुहार की और पूरा मामला बताया।

पुलिस ने दबाव बनाकर मां और बेटे को बाहर निकाला। इसके बाद दोनों को नागरिक अस्पताल लाया गया। अस्पताल के मानसिक चिकित्सा विभाग सहित अन्य डाक्टरों ने मां और बेटे की जांच की। मानसिक चिकित्सा विभाग के डॉ. विनय कुमार के मुताबिक बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है।

बच्चे ने बताया कि उसे समय पर खाना आदि मिलता था। उसकी सभी प्रकार की जरूरतें पूरी की जा रही थीं। उन्होंने बताया कि महिला मानसिक रूप से समस्या ग्रस्त थी। उसे डर था कि उसके बेटे को कोविड संक्रमण न हो जाए। उसने अपनी शंका को ही हकीकत मान लिया था और इस मानसिक अवस्था से वह बाहर नहीं आ सकी थी।

कोरोना की पहली लहर में कमरे में कैद हो गया था परिवार

बताया जा रहा है कि कोरोना की पहली लहर में इस परिवार ने खुद को कमरे में कैद कर लिया था, लेकिन जब दूसरी लहर आने से पहले पति काम पर जाने के लिए बाहर निकला तो महिला ने पति की एंट्री को घर में बैन कर दिया. उसे डर था कि पति बाहर से कोरोना संक्रमित होकर न आ जाए और उन्हें भी संक्रमित कर दे. इसके बाद महिला का पति बीते डेढ़ साल से चकरपुर में किराए के कमरे में रहने लगा.

पत्नी का व्यवहार देख लगा, मानसिक रूप से परेशान है

बताया जा रहा है कि पत्नी के व्यवहार से पति समझ चुका था कि उसकी पत्नी मानसिक तौर पर परेशान है. इस मामले को लेकर वह पुलिस के पास गया, लेकिन पुलिस ने बिना किसी तफ्तीश के घरेलू मामला कहकर लौटा दिया. इसके बाद वह रविवार को फिर चकरपुर चौकी पहुंचा. चौकी में परवीन नाम के पुलिसकर्मी ने जब उसकी बात सुनी और वीडियो कॉल पर पीड़ित के बेटे से बात की तो वह दंग रह गया.

सिलेंडर खत्म होने पर इंडक्शन पर तीन साल तक बनाया खाना

अधिकारियों का कहना है कि जब महिला के घर में सिलेंडर खत्म हो गया तो उसने इंडक्शन पर खाना बनाना शुरू कर दिया. वह अपने और बच्चे के लिए इसी तरह तीन साल से खाना बनाती रही. अब रेस्क्यू के बाद मां-बेटे को डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है, जहां उनके स्वास्थ्य से जुड़े टेस्ट किए जा रहे हैं. टेस्ट रिपोर्ट आने के बाद स्वास्थ्य की जानकारी सामने आ पाएगी.

पुलिसकर्मी परवीन ने टीम के साथ किया रेस्क्यू

पुलिसकर्मी परवीन सोमवार को रेस्क्यू करने चकरपुर में स्थित मकान में पहुंचे, लेकिन महिला ने धमकी दी कि अगर जबरदस्ती की तो बच्चे को मार दूंगी. इसके बाद मंगलवार को चाइल्ड वेलफेयर की टीम के साथ दोबारा मौके पर पहुंचकर दोनों को रेस्क्यू किया.