ख़बरें अभी तक: महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दोनों तरीकों से महत्व काफी है. शिवरात्रि का अर्थ है हर महीने का 14वां दिन. जो कि अमावस्या से एक दिन पहले आता है. एक वर्ष में 12 से 13 शिवरात्रियां होती है. इन सभी शिवरात्रियों में से वो शिवरात्रि जो फरवरी, मार्च के माघ महीने में आती है. उसे महाशिवरात्रि कहा जाता है.
ग्रह के उत्तरी गोलार्ध में उस दिन इंसानी सिस्टम में ऊर्जा स्वाभाविक रूप से ऊपर की ओर बढ़ती है. हर एक जीव अपने भीतर ऊर्जा को ऊपर की ओर बढ़ते हुए महसूस करता है. इस उठती हुई ऊर्जा का वहीं व्यक्ति सही ये उपयोग कर सकता है जिनकी रीढ़ की हड्डी सीधी है. मानव होने का हमारा ये सौभाग्य है कि केवल हम ही एक ऐसी प्रजाति है जिसकी रीढ़ विकसित होकर सीधी हो गई है.
महाशिवरात्रि की रात्रि ऊर्जा और ज्ञान से भरपुर होती है. इसलिए शिवरात्रि की रात रीड की हड्डी को सीधा करके सीधी मुद्रा में बैठना चाहिए और रात भर जागकर ध्यान लगाना चाहिए इससे ना केवल धार्मिक पथ पर चलने वालों को बल्कि अन्य लोगों को भी काफी लाभ होता है. मान्यता है कि शिवरात्रि पर रात में जागकर भगवान शिव की आराधना करने से आपकी हर इच्छा पूरी होती है.
कुरानों में ऐसी कई शानदार कहानियां है जो लोगों को बताती है. कि इस दिन का महत्व क्या है? और क्यों ये इतना खास है? कर्नाटक के कुछ इलाकों में इस रात बच्चों से कहा जाता है कि वो जाकर लोगों के घरों पर पत्थर फेंके. उस दिन आप ऐसी शरारत कर सकते है और इसे अपराध भी नहीं कहा जाता. दरअसल आपको ऐसा करने के लिए शाबाशी मिलेगी क्योकि आपने एक ऐसे व्यक्ति को जगा दिया जो सो रहा था.
बेशक लोगों ने उठ कर शिव का नाम नहीं लिया. उन्होंने आपको कोसा तो कोई बात नहीं. कम से कम वो उठ कर बैठ तो गए. इस दिन हमारे तंत्र की ऊर्जा में प्राकृतिक चढ़ाव होता है. लेटे रहना हमारे तंत्र के लिए अच्छा नहीं होता. आप जितने लोगों को जानते हो उन्हें ये बात जरूर बताएं.