ख़बरें अभी तक: अब बिहार में एक और खान सर (Khan Sir) मिल गए हैं। बिहार की राजधानी पटना में कोचिंग सेंटर चलाने वाले खान सर (Khan Sir) को आज भारत में हर कोई जानता है। खान सर (Khan Sir) पेशे से एक अध्यापक है। इनका पूरा नाम फैज़ल खान (Faizal Khan) है परंतु अब ये अपने पढ़ाने के मनोरंजक अंदाज के स्टाइल के कारण खान सर (Khan Sir) के नाम से सम्पूर्ण भारत देश में प्रसिद्ध हो गए है। यूट्यूब (Youtube) पर उनके वीडियो के करोड़ों में व्यूज होते हैं। जैसे ही उनका वीडियो यूट्यूब पर आता है, वैसे ही वो ट्रेंड करने लगता है।
जीएस जैसे सब्जेक्ट को आसान शब्दों में समझाने में माहिर Khan Sir से पढ़ने के लिए हजारों स्टूडेंट उनके कोचिंग सेंटर आते हैं। वहीं, बिहार से ही एक और ‘खान सर’ (Khan Sir) निकलकर आए हैं, जिन्हें लोग ‘छोटे खान सर’ (Chote Khan Sir)के नाम से पुकारा जा रहा हैं। दरअसल, हम बात कर रहे हैं एक ऐसे बच्चे कि जो तीसरी क्लास में पढ़ता है, पर वह 10वीं क्लास के बच्चों को गणित पढ़ाता है। पटना के मसौढ़ी प्रखंड में स्थित है चपौर गांव, जहां बॉबी राज रहते हैं।
बॉबी (Bobby) वैसे तो तीसरी क्लास में पढ़ते हैं, लेकिन वह 10वीं क्लास के मैथ्स को भी चुटकियों में हल कर लेते हैं। यही वजह है कि वह इस क्लास के बच्चों को पढ़ाते भी हैं। बॉबी (Bobby) को ना सिर्फ मैथ्स का पूरा कोर्स मालूम है, बल्कि किसी भी चैप्टर से जुड़े सवालों का उत्तर भी वह आसानी से दे देते हैं। खान सर बॉबी के आदर्श हैं और यही वजह है कि उनके इलाके के लोग उन्हें छोटे खान सर (Khan Sir) के नाम से पुकारते हैं।
हाल ही में राजधानी पटना में बापू सभागार में एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद (Sonu Sood) ने शिरकत किया। वहीं, जब बॉबी को ये मालूम चला तो वह अपने माता-पिता से जिद कर कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने Sonu Sood को एक पर्ची भेजी, जिसमें उन्होंने खुद को मंच पर बुलाने का आग्रह किया। इसके बाद सोनू ने बॉबी को मंच पर बुलाया। मंच पर पहुंचने पर बॉबी (Bobby) ने सभी को एक कविता सुनाई। दूसरी ओर, बॉबी की कविता सुनकर सोनू सूद काफी प्रभावित हुए।
बॉबी (Bobby) के घर में ही स्कूल बनाया गया है। उनके पिता राजकुमार और उनकी मां चंद्रप्रथा कुमारी ने 2018 में इस स्कूल की शुरुआत की थी। वैसे तो ये दिखने में एक साधारण सा स्कूल है। मगर यहां पढ़ाने वाले बॉबी (Bobby) के चर्चे हर जगह हो रहे हैं। स्कूल में पांच कमरे हैं, जहां पहली से लेकर 10वीं क्लास तक की पढ़ाई करवाई जाती है। गांव में रहने वाले बच्चे सुबह-सुबह स्कूल बैग लेकर पढ़ने के लिए यहां चले आते हैं। वहीं, सभी बच्चों को पढ़ाई का मौका मिल पाए। इसके लिए स्कूल की फीस भी ज्यादा नहीं रखी गई है, ताकि सब लोग अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेज पाएं। ये स्कूल अपने आप में ही काफी यूनिक है।