सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, अब अविवाहित महिलाएं भी करा सकेंगी 24 हफ्ते तक अबॉर्शन…

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने सुनाया एक ऐतिहासिक फैसला। कोर्ट ने देश की सभी महिलाओं को गर्भपात का अधिकार दे दिया, चाहें वो विवाहित हों या अविवाहित। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) एक्ट के तहत 24 सप्ताह के अंदर गर्भपात का अधिकार सभी को है। अदालत ने ये भी कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) कानून के दायरे से अविवाहित महिला को बाहर रखना असंवैधानिक है।

दरअसल, एक 25 साल की महिला की याचिका पर कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। महिला अपने साथी के साथ सहमति से रह रही थी। बाद में उसने शादी से इनकार कर दिया। गर्भवती महिला का कहना है कि वह बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती, इसलिए उसे गर्भपात की अनुमति दी जाए। दिल्ली हाईकोर्ट ने महिला को इसकी इजाजत नहीं दी थी। इसके बाद महिला सुप्रीम कोर्ट (supreme court) पहुंची।

सुप्रीम कोर्ट ने महिला अधिकारों की दिशा में यह बड़ा फैसला 25 वर्षीय एक अविवाहित युवती (Unmarried Women) की याचिका पर सुनाया। उसने कोर्ट से 24 सप्ताह के गर्भ को गिराने की इजाजत मांगी थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने उसे इसकी इजाजत नहीं दी थी। यह युवती सहमति से सेक्स के चलते गर्भवती हुई थी। उसने शीर्ष कोर्ट से गर्भपात की इजाजत देने की गुहार लगाते हुए कहा था कि वह पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी है। उसके माता-पिता किसान हैं।

उसके पास अपनी आजीविका चलाने के इंतजाम नहीं हैं, इसलिए वह पेट में पल रहे बच्चे का पालन-पोषण करने में असमर्थ रहेगी। दिल्ली हाईकोर्ट ने 16 जुलाई के आदेश में युवती को 24 सप्ताह के भ्रूण को समाप्त करने की इजाजत इसलिए देने से इनकार कर दिया था कि वह सहमति से बनाए गए संबंध की देन था।

अन्य जानकारी:

यूरोप के ज्यादातर देशों में गर्भधारण के 12-14 हफ्ते तक गर्भपात की अनुमति है। हालांकि, कई देशों में अलग-अलग तरह के अपवाद की स्थित में तय सीमा के बाद भी गर्भपात की अनुमति मिलती है। जैसे- ब्रिटेन में भूण विकृत होने की स्थिति में जन्म से पहले कभी भी गर्भपात की इजाजत है।