हिमाचल के जुब्बल-कोटखाई से BJP ‌विधायक नरेंद्र बरागटा का निधन, कोरोना से ठीक होने के बाद बिगड़ी तबियत

ख़बरें अभी तक || हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले से जुब्बल कोटखाई से बीजेपी विधायक और प्रदेश विधानसभा में भाजपा  के मुख्य सचेतक नरेंद्र बरागटा  का निधन हो गया है। विधायक बरागटा का चंडीगढ़ पीजीआई में इलाज चल रहा था। उनके बेटे चेतन बरागटा ने यह जानकारी दी है। बता दें कि शुक्रवार को ही प्रदेश के सीएम जयराम ठाकुर ने पीजीआई चंडीगढ़ जाकर उनका हाल चाल जाना था। वह बीते 15 दिन से चंडीगढ़ पीजीआई में भर्ती थे और दिल की बीमारी से ग्रसित थे। नरेंद्र बरागटा को 13 अप्रैल 2021 को कोरोना हो गया था। इसके बाद से उनकी सेहत लगातार खराब होती रही और शनिवार सुबह तड़के चार बजे उनका निधन हो गया है।

बेटे ने दी जानकारी

नरेंद्र बरागटा के बेटे चेतन ने सोशल मीडिया पर लिखा कि मेरे पिता और हम सभी के प्रिय भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व मंत्री, हिमाचल प्रदेश सरकार में मुख्य सचेतक सम्मानीय नरेन्द्र बरागटा जी स्वास्थ्य से सम्बंधित लम्बे संघर्ष के बाद अपने जीवन की अंतिम लड़ाई हार गए। मेरे परिवार के सदस्यों समान समस्त समर्थकों, कार्यकर्ताओं को बड़े दुःखी मन के साथ यह खबर दे रहा हूँ कि नरेन्द्र बरागटा जी अब हमारे बीच नहीं रहे। कोविड-19 के चलते तमाम शुभचिंतकों, समर्थकों व कार्यकर्ताओं से निवेदन रहेगा कि धैर्य और सयंम बनाएं रखें। भावभीनी एवं अश्रुपूर्ण यह पल हमारे जीवन के सबसे दुःखदायी क्षण आप सभी के साथ सांझा कर रहा हूं।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने दी श्रद्धांजली

निधन के बाद विधायक नरेंद्र बरागटा के पार्थिव शरीर को चंडीगढ़ स्थित हिमाचल भवन लाया गया जहां मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, हिमाचल बीजेपी के अध्यक्ष सुरेश कश्यप और तमाम दिग्गजों ने विधायक को नम आखों से श्रद्धांजलि दी जिसके बाद उनके पार्थिव शरीर को हिमाचल लाया जा रहा है।

कौन थे बरागटा

हिमाचल: BJP विधायक नरेंद्र बरागटा का निधन, कोरोना को दे चुके थे मात - India  TV Hindi News

नरेंद्र बरागटा का जन्म 15 सितंबर 1952 को शिमला जिले के जुब्बल-कोटखाई में हुआ था। उन्होंने हिमाचल यूनिवर्सिटी से राजनीतिक विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन की थी। उनके दो बेटे हैं। साल 1978-82 तक वह जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष रहे। साल 1993 से 98 तक उन्हें जिला भाजपा का सचिव बनाया गया। इसके अलावा, वह भाजपा राष्ट्रीय किसान मोर्टा के सचिव भी रहे हैं। पहली बार, वह साल 1998 में विधायक बने। इसके बाद दोबारा जुब्बल-कोटखाई से 2007 में विधायक बने।