ख़बरें अभी तक || देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर लगातार करह बरपा रही है। आए दिन कोरोना के मामले रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं । वहीं सबसे ज्यादा मौत ऑक्सीजन की कमी के चलते हो रही है। पहली और दूसरी लहर के बीच में कई महीने का वक्त मिलने के बाद भी सरकारों ने पूरी तैयारी नहीं की, जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। इन सबके बीच एक आईएएस अधिकारी ऐसा भी है, जो आदिवासी जिले में ऑक्सीजन, बेड्स समेत जरूरत की चीजों की कमी नहीं होने दे रहा। महाराष्ट्र के एक छोटे से आदिवासी जिले के इस कलेक्टर ने इन कमियों को दूर करने के लिए दूसरी लहर आने से पहले ही तैयारियां शुरू कर दी थीं। डॉक्टर से ब्यूरोक्रेट बने डॉ. राजेंद्र भारुद के पास इस समय महाराष्ट्र के नंदुरबार का जिम्मा है। उन्होंने इस जिले में मेडिकल ऑक्सीजन, अस्पतालों में बेड्स, कोविड-19 मरीजों के लिए आइसोलेशन वॉर्ड्स और वैक्सीनेशन अभियान में किसी भी तरह की कोई कमी नहीं आने दी।

आज के समय में जिले में 150 से ज्यादा खाली बेड्स हैं, दो ऑक्सीजन प्लांट्स हैं, जो हर मिनट 2400 लीटर मेडिकल ऑक्सीजन मुहैया करवा रहे हैं। जिले में पॉजिटिविटी रेट भी इस समय काफी कम है। नंदुरबार में मेडिकल सुविधाओं का फायदा लेने के लिए मध्य प्रदेश और गुजरात के लोग भी आ रहे हैं। पिछले साल जब महामारी ने दस्तक दी थी, तब इस जिले में एक भी ऑक्सीजन प्लांट नहीं था, लेकिन भारुद ने बीते वर्ष जब कोरोना वायरस के मामले कम होने लगे, तब भी उन्होंने सितंबर में यहां ऑक्सीजन प्लांट स्थापित कर दिया। उन्होंने आशंका जताई थी कि अभी भले ही संक्रमण के मामले कम हो रहे हैं, लेकिन किसी भी समय इसमें तेजी आ सकती है और उस वक्त ऑक्सीजन की काफी जरूरत होगी।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जैसे ही दूसरी लहर ने महाराष्ट्र में दस्तक दी, नंदुरबार में एक दिन में ही 1210 नए मामले सामने आ गए। उस समय तक वहां एक ही ऑक्सीजन प्लांट लगा था, तब डॉ. भारुद ने सोचा इतना ही काफी नहीं होगा। उन्होंने तुरंत ही जिला अस्पताल में प्लांट लगाने के लिए फंड जुटाया और ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना कर दी। इससे 1800 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन और मिलने लगी। पहले वाले प्लांट से मिलने वाली 600 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन के बाद कुल मात्रा बढ़कर 2400 लीटर हो गई। उनका कहना है कि अभी भी इसकी मात्रा को बढ़ाया जा रहा है और इसे तीन हजार लीटर प्रति मिनट तक किया जाएगा।

डॉ. भारुद ने कहा कि हेल्थकेयर सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए एंबुलेंसेस, वेंटिलेटर्स, बेड्स, ऑक्सीजन प्लांट्स, वैक्सीन, दवाएं, ट्रेन्ड मेडिकल स्टाफ काफी जरूरी था और इनके लिए पैसे की भी काफी जरूरत थी। आईएएस अधिकारी ने डिस्ट्रिक्ट प्लानिंग एंड डेवलपमेंट फंड्स, स्टेट डिजाजटर रिलीफ फंड्स और सीएसआर की मदद से पैसे जुटाए। उन्होंने कहा कि उनकी टीम ने जिले में डॉक्टरों को वे सभी संसाधन उपलब्ध कराए हैं जिनकी उन्हें जिले में ऑक्सीजन प्लांट लगाने की जरूरत थी।
