खबरें अभी तक || हरियाणा की मनोहर सरकार ने अपने दूसरे बजट में गांव, नौजवान और आम इंसान को केंद्र बिंदु में रखा। इनको मद्देनजर रखते हुए ही नई विकास योजनाएं तैयार की गई हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अधिकांश वर्ग को छूने की कोशिश की है लेकिन जेजेपी के बड़े चुनावी वादे बजट से नरारद दिखे।
सीएम ने सीधे रेवड़ियां बांटने से भी परहेज किया। विकास योजनाओं के जरिए ही अंतिम व्यक्ति तक फायदा पहुंचाया जाएगा। भाजपा-जजपा के न्यूनतम साझा कार्यक्रम की छाप बजट पर ज्यादा नहीं दिखी। गठबंधन सहयोगी जेजेपी के बड़े चुनावी वादे 63 पन्नों के बजट में जगह नहीं बना पाए। मुख्यमंत्री ने अपनी पार्टी के एजेंडे पर चलते हुए किसान की आय को 2022 तक दोगुना करने के लिए कदम आगे बढ़ाया।
बेरोजगारी को लेकर उठते सवालों की काट के लिए नौजवान को रोजगार का खाका खींचा तो आम इंसान के लिए स्वास्थ्य, स्वावलंबन व ग्रामीण विकास पर जोर है। नए निवेश व कौशल विकास के जरिए रोजगार देने की ओर सरकार ने कदम बढ़ाया पर जेजेपी का बेरोजगारों को 11 हजार रुपये बेरोजगारी भत्ता देने का वादा घोषणा पत्र तक ही सीमित रहा। हालांकि, खेती को कीटनाशक मुक्त कराने का जेजेपी का चुनावी वादा अब जरूर मूर्तरूप लेगा। बजट में मुख्यमंत्री ने जैविक खेती को बढ़ाने का संकल्प लिया है।
कोरोना से सबक लेते हुए सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को जमीनी स्तर पर मजबूत करेगी। कोरोना जैसी महामारी को देखते हुए अस्पतालों में बेड की क्षमता बढ़ाने का निर्णय आधारभूत ढांचे को मजबूती देगा। युवाओं को निजी क्षेत्र में एक साल में 50 हजार रोजगार देने की घोषणा तो की गई है लेकिन निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 फीसदी रोजगार का जिक्र बजट में नहीं है।
जेजेपी के ये वादे दूसरे बजट से भी गायब
किसानों एवं छोटे दुकानदारों का सहकारी बैंकों का कर्ज माफ करना।
पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करना। पंजाब समान वेतनमान देना।
वृद्धावस्था सम्मान पेंशन 5100 रुपये प्रतिमाह
महिलाओं को 55 वर्ष व पुरुषों को 58 वर्ष पूर्ण होने पर घर पर ही पेंशन
सरकारी कर्मचारियों को एचआरए पहली जनवरी 2017 से दिलाना, सरकार पहली जनवरी 2019 से लागू कर चुकी
नौकरी मिलने तक शिक्षित युवाओं को 11 हजार रुपये बेरोजगारी भत्ता