कोरोना की भेंट चढ़ा तत्तापानी का संक्रांति मेला, यहां पिछले साल बनी थी 1995 किलो खिचड़ी

ख़बरें अभी तक || कोरोना महामारी की वजह से पिछले साल 2020 में लोग किसी भी त्यौहार को नहीं मना पाए थे। लेकिन साल 2021 में लोगों को उम्मीद थी कि सब कुछ अच्छा होगा, फिर से त्योहारों को धूम-धाम से मनाया जाएगा।

मगर ऐसा होता कहीं से भी दिखाई नहीं दे रहा है, क्योंकि कोरोना का कहर इस साल भी बरकरार है। इसी बीच मंडी के उपमंडल करसोग के तहत पड़ने वाले धार्मिक तीर्थ और पर्यटक स्थल तत्तापानी में इस साल मकर संक्रांति और लोहड़ी की धूम नहीं दिखाई दी।

वजह है कोरोना ! हर साल यहां लोहड़ी और मकर संक्रांति पर पूरे एक महीने का मेला लगाया जाता था। लेकिन इस बार प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी है। प्रशासन की ओर से ये साफ कह दिया गया है कि कोरोना संकट के चलते इस बार यहां 50 से अधिक लोग इकट्ठा नहीं हो सकते। अगर कोई भी नियमों की अव्हेलना करेगा तो, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

एक ही बर्तन में 1995 किलो खिचड़ी पकाकर बना विश्व रिकॉर्ड !

बता दें कि पिछले साल तत्तापानी में संक्रांति के मौके पर 1995 किलो खिचड़ी पकाई गई थी। जिसके बाद इतने बड़े पैमाने पर खिचड़ी बनाने का गिनीज बुक में वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज हुआ था। 25 लोगों की टीम ने 5 घंटे में इस खिचड़ी को तैयार किया था। खिचड़ी पकाने में 1100 लीटर पानी का इस्तेमाल किया गया था।

वहीं इस खिचड़ी में 65 किलो मटर, 199 किलो माश, 90 किलो देशी घी और 30 से 40 किलो ग्राम मसाले भी डाले गए थे। खिचड़ी बनाने के लिए बड़ा बर्तन (पतीला) हरियाणा की फेमस बर्तन मार्केट जगाधरी से मंगवाया गया था। एक ही पतीले में यह खिचड़ी पकाई गई थी। लेकिन इस बार कोरोना ने सबकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।

इतिहास में शायद ही पहले कभी ऐसा हुआ हो कि मकर संक्रांति पर यहां मेला ना लगा हो। हर साल यहां देश के कोने-कोने से श्रद्धालु पहुंचते थे। लेकिन इस बार सब सूना सूना है, वहीं दूसरी ओर मेला कारोबारियों को भी इससे काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है। मेले से ही उनकी रोजी रोटी चलती थी.. लेकिन अब रोजी रोटी पर ही संकट आ चुका है।