124 साल बाद फिर खिला ऑर्किड प्रजाति का दुर्लभ फूल, देखें तस्वीरें

ख़बरें अभी तक || उत्तराखंड के चमोली जिले में पहली बार ऑर्किड प्रजाति का दुर्लभ फूल ‘लिपरिस पैगमई’  मिला है। वन अनुसंधान केंद्र की इस खोज को फ्रांस के प्रतिष्ठित जर्नल रिकार्डियाना में भी प्रकाशित किया है। जर्नल में प्रकाशित इस खोज के मुताबिक यह भी पहली बार हुआ कि यह फूल पश्चिम हिमालय में देखा गया है। उत्तराखंड के चमोली जिले में 3800 मीटर की ऊंचाई पर सप्तकुंड ट्रेक पर इस फूल को देखा गया है। यह फूल इससे पहले सिक्किम और पश्चिम बंगाल में देखा गया था।

बताया जा रहा है कि  यह फूल करीब दो माह पूर्व खोजा गया था। जिसके बाद यह फूल जांच के लिए पुणे स्थित बोटैनिकल सर्वे ऑफ इंडिया में भेजा गया। बीएसआई ने इस फूल के ‘लिपारिस पिगमीआ’ होने कि पुष्टि की तो, फ्रांस के जर्नल मे खोज प्रकाशित होने के लिए भेजी गई। इससे पहले यह ऑर्किड सिक्किम वेस्ट बंगाल में पाया गया था। पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में यह पहली बार मिला है। गौरतलब है कि उत्तराखंड वन विभाग के दो अधिकारियों ने जून महीने में भी इस दुर्लभ फूल के खिलने की पुष्टि की थी।

डॉ. जलाल के मुताबिक दुर्लभ प्रजाति का यह फूल जून महीने में पांच सेंटीमीटर तक खिलता है और यह पहली बार पश्चिमी हिमालय में खिला है। देश में 124 सालों के बाद एक दुर्लभ प्रजाति का फूल ‘लिपरिस पैगमई’ खिला है। उत्तराखंड के चमोली जिले में सप्तकुंड ट्रेक इलाके में फूल के खिलने की पुष्टि हुई है। इससे पहले यह फूल सिक्किम में 1892 और 1877 और फिर बाद में पश्चिम बंगाल में 1896 में देखा गया था। इसके साथ ही उन्होनें यह भी कहा कि हमारे लिए यह बहुत ही गौरव की बात है कि दशकों के बाद यह फूल दोबारा खिला है और चुनौती भी है कि हम सभी को हिमालय संरक्षण के लिए कदम उठाना चाहिए।

फूलों की करीब 1250 से प्रजातियों में से 250 प्रजातियां उत्तराखंड के 3100 से 3900 मीटर की उच्च हिमालयी इलाके में पाई जाती है। इसी के चलते भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण संस्थान के वनस्पति विज्ञान विभाग के विशेषज्ञों ने फ्रेंच साइंटिफिटिक जनरल  ‘रिर्चडाइना’ में इसी साल जुलाई 30 को एक रिर्पोट प्रकाशित भी की है।

रिसर्च पेपर ‘लिपरिस पैगमई’ (मैलाक्सिडिया व ऑर्चीडेसिया ) नया विभाजक रिकॉर्ड को संयुक्त रूप से भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण,पश्चिमी रीजनल सेंटर, पुणे के जीवन सिंह जलाल, दिनेश कुमार,भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण,सिक्किम हिमालय रीजनल सेंटर, गैंगतोक, मनोज सिंह, जूनियर रिसर्च फैलो, फॉरेस्ट रिसर्चविंग और हरीश नेगी,फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर उत्तराखंड ने प्रकाशित किया है। रिसर्च पेपर के अनुसार ‘लिपरिस पैगमई’ की करीब 320 प्रजातियां है, जिनमें से करीब 48 प्रजातियां देश में है। 48 प्रजातियों में से 10 प्रजातियां पश्चिमी हिमालय में मिली है। चमोली के सप्तकुंड में ट्रैकिंग के दौरान मनोज सिंह को इस प्रजाति का फूल मिला था, जिन्हें वह सैंपलिंग के लिए ले आए थे।