गंभीर बीमारियों का रामबाण इलाज है शिलाजीत, जानिए यह कहां पाया जाता है

ख़बरें अभी तक। रामपुर: ऊंचे पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य शिलाओं से निकलने वाले रस को शिलाजीत कहते है। शिलाजीत दुर्लभता से ही किसी चट्टान में निकलता है। आयुर्वेदा में इसे कई बीमारियों रामबाण औषधि माना जाता है। शिलाजीत को पहाड़ों से निकालना चुनौतीपूर्ण कार्य होता है।

हिमाचल के ऊपरी हिस्से में इसे निकालने का कार्य पुश्तैनी धंधे से जुड़े लोग करते है। आयुर्वेदा आचार्य चरक के अनुसार शिलाजीत के चार प्रकार है। शिलाजीत को चट्टानों से निकालने के बाद दो प्रकार से शोधन किया जाता है। हिमाचल के शिमला और कुल्लू जिला के ऊपरी हिस्सों में शिलाजीत निकालने में लोग माहिर है।

ऊंची व जोखिमपूर्ण शिलाओं से निकलने वाले रस रूपी शिलाजीत के कई औषधीय गुण है। शिलाजीत दूर से चट्टान में काली परत में जमी दिखाई देती है, और ये पानी में घोलने पर रक्त की तरह दिखता है। शिलाजीत को आयुर्वेद में बहुत लाभकारी औषधि माना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार शिलाजीत एक ऐसी औषधि है जो हमें स्वस्थ रहने में मदद करती है। पहाड़ों की शिलाओं में तैयार होने वालों की वजह से इसे शिलाजीत कहा जाता है।

वैज्ञानिक नजरिये से माना जाता है कि भूगर्वीय गतिविधियों के कारण दफन हुए पेड़ पौधों के अवशेषों का गर्मी के दिनों में सूर्य की तेज किरणों से राख की तरह तरल पदार्थ चट्टान से बाहर निकलता रहता है। शिलाजीत नाम मात्र के चट्टानों पर ही होता है। आयुर्वेदाचार्य चरक के अनुसार शिलाजीत चार प्रकार के होते है जो स्वर्ण, रजत, लोग व् ताम्र वर्ण युक्त होते है। प्रत्येक प्रकार के शिलाजीत के गुण व लाभ अलग प्रकार के होते हैं।

यह पित,कफ, वात, चर्बी, मधुमेह, श्वास, मिर्गी, बाबासीर, सूजन ,पथरी, पेट के कीड़े व अन्य कई रोगों को नष्ट करने में सहायता करता है। शिलाजीत किडनी की समस्या,योन शक्ति बढ़ता है,शीघ्रपतन की समस्या दूर होती है। जोड़ों के दर्द गठिया एवं जोड़ों के दर्द सूजन के समस्या में फायदा होता है,पाचन तंत्र से जुड़ी भी समस्याएं भी दूर होती है।

डायबिटीज के लिए रामबाण से कम नहीं शिलाजीत। फादर ऑफ़ सर्जरी आचार्य सुश्रुत ने शिलाजीत को दो तरह की गंद यानी कपूर व् गोमूत्र गंदी। शिलाजीत में कई प्रकार के एक्टिव न्यू ट्रेंस पाए जाते हैं,18 वर्ष से कम उम्र के लोगों को व गर्भवती महिलाओं को शिलाजीत का सेवन नहीं करना चाहिए।

पुश्तैनी शिलाजीत निकालने के धंधे को आगे बढ़ा रहे निरमंड के लीला चंद प्रेमी का कहना है बुजुर्गों से लेकर शिलाजीत निकालते हैं। शिलाजीत विकट स्थानों पर होती है। कठिन और चट्टानों में ऊंचाई पर होती है, मुश्किल से निकालते हैं। निकालने के बाद उसको शुद्ध करते हैं और शुद्ध करने का तरीका दो प्रकार का है। सूर्य तापी और अग्नि तापी।

सूर्य तापी के गुण अधिक रहते है। शिलाजीत के फायदे अगर असली शिलाजीत हो तो अंदरूनी चोट,  छाती दर्द, खून की खराबी खून की खराबी, अंदरूनी कमजोरी को दूर करता है ताकतवर बनाता है। नेपाली पूरन राणा ने बताया कि हम लीला चंद के साथ कई वर्षों से शिलाजीत निकालने का काम करते आ रहे हैं। चट्टानों से शिलाजीत निकालते समय मेहनत भी काफी है, रिस्की भी काफी रहता है।

कई बार फिसलने से गिर भी सकते हैं। इसलिए यह काफी विकट काम है। पुष्प राम ने बताया कि हम लीला चंद के साथ शिलाजीत निकालने आए है और यह देखने आए है कि कैसे शिलाजीत निकाला जाता है। शिलाजीत निकालने के लिए बड़े-बड़े पहाड़ों पर चढ़ना पड़ता है। शिलाजीत कई बीमारियों की दवा है। इसलिए वह इसे निकालने आए हैं। डॉक्टर सुमेश कपूर ने बताया कि शिलाओं से निकाले जाने के कारण ही इसे शिलाजीत कहा जाता है।

शिलाजीत चार प्रकार की होता है। इस की गंध दो तरह कपूर गंदी व् गोमूत्र गन्धी होता है। आयुर्वेदा में औषधीय दृष्टि से इसे श्रेष्ठ रसायन माना गया है। गोमूत्र गंधी शिलाजीत को श्रेष्ठ माना जाता है। यह त्रिदोष शामक है। इसे कई प्रकार की व्याधियों में प्रयोग किया जाता है।