जयराम ठाकुर हिमाचल के सबसे महंगे मुख्यमंत्री होंगे साबित- मुकेश अग्निहोत्री

ख़बरें अभी तक। शिमला: विधानसभा बजट सत्र के 10वें दिन सदन में वितीय वर्ष 2020-21 के बजट अनुमान पर चर्चा शुरू हुई जो 14 मार्च तक चलेगी। बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पर करारा हमला बोला और कहा कि मुख्यमंत्री ने सदन में पेपरलेस बजट पेश करने की बात कही जबकि बजट पेपरलेस के साथ डायरेक्शन लेस भी था। प्रदेश में इस वक्त वित्तिय अराजकता का माहौल चल रहा है।

बजट भाषण में बजट से जुड़े हुए अहम बिंदु गायब थे। 09 फरवरी 2019 को मुख्यमंत्री ने 5 हजार 68 करोड़ रुपए के कर्ज लेने की बात कही थी लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने कहे से 1092 करोड़ का ज्यादा कर्ज बीते वर्ष लिया है। मुख्यमंत्री ने 06 मार्च को बजट पेश करने से पहले 05 मार्च को 1160 करोड़ रुपये कर्ज लिया। कांग्रेस के सत्ता छोड़ने पर प्रदेश में 47906 करोड़ का कर्जा था जो 2018-19 में 50773 करोड़ और 2019 – 20 में 57737 करोड़ पहुंच गया है और 2020-21 में 61 हजार करोड़ का सरकार अनुमान लगा रही है जो 65 हजार करोड़ तक जाएगा।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर हिमाचल प्रदेश के अब तक के सबसे महंगे मुख्यमंत्री साबित होंगे। कर्जा बढ़ा और विकास गिरा है। फर्जी सोर्स के लिए मुख्यमंत्री जाने जाएंगे। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि स्मार्ट सिटी का पैसा येस बैंक में फस गया है। सरकार बताए कितना पैसा और किन किन विभागों का पैसा येस बैंक में जमा है।

इस बीच मुख्यमंत्री ने येस बैंक पर वक्तव्य देने के लिए खड़े हुए कहा कि केंद्र सरकार और आरबीआई ने पैसा न डूबे इसका आश्वासन दिया है और पैसा केवल भाजपा सरकार के समय मे ही बैंक में नहीं था कांग्रेस सरकार के समय मे भी येस बैंक में सरकार का पैसा जमा है। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार ने वित्तायोग से कर्ज माफी की मांग की थी उसका क्या हुआ, औद्योगिक पैकेज क्या क्या हुआ, तीन बार प्रधानमंत्री आये हिमाचल को दिया क्या। 10 हजार करोड़ का कर्ज बीते वर्ष सरकार ने लिया है।

सरकार कर्ज पर ही चलेगी और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर 75 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लेकर 5 साल बाद सत्ता को छोड़ेंगे। अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार के सभी प्रोजेक्ट फस गए हैं। बजट में 1013 करोड़ का मंडी का हवाई अड्डा बनाने की मुख्यमंत्री बात कह रहे हैं जिसमें अब मुख्यमंत्री फस गए हैं। केंद्र सरकार इसको लेकर हिमाचल सरकार को कोई पैसा नहीं दे रही है। अभी तक इसको लेकर सरकार ने कोई डीपीआर नहीं बनाई है। केंद्र से हिमाचल को योजनाओं में मिलने वाली 90:10 की रेशो टूट गयी है सरकार को मानना होगा।