ख़बरें अभी तक। होली से एक रात पहले होलिका दहन किया जाता है। इसके लिए होलाष्टक के प्रारंभ से ही चौक-चौराहों पर होलिका बनानी शुरू की जाने लगती है। वैसे कई जगहों पर होलिका दहन से कुछ दिन पूर्व ही होलिका बनाना शुरू होता है। होलिका दहन से आस-पास के वातावरण में एक नई सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। लोगों के कष्टों का नाश होता है। इस साल होली पर आपको किस प्रकार होलिका दहन करनी चाहिए। उसकी विधि और मुहूर्त क्या है, इन सबकी जानकारी हम आपको देते है-
होलिका की तैयारी– होलिका दहन से कुछ दिन पहले एक जगह पर पेड़ की टहनियां, गोबर की उप्पलें, सुखी लकड़ियां, घास-फूस आदि इकट्ठी की जाती हैं। होलिका दहन के दिन से पहले हर रोज वहां सुखी लकड़ियां, उप्पलें आदि रखी जाती हैं। देखते-देखते फाल्गुन पूर्णिमा तक वहां सुखी लकड़ियों, उप्पलों आदि का एक ढेर लग जाता है। अब होलिका पूजन के सामग्री तैयार करनी होती है।
होलिका पूजन सामग्री- एक लोटा जल, चावल, गन्ध, पुष्प, माला, रोली, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, गेंहू की बालियां इत्यादि।
होलिका दहन मुहूर्त– फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाएगा। फाल्गुन पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 09 मार्च दिन सोमवार को प्रात:काल 03:03 बजे हो रहा है। वहीं इसका समापन उसी रात 11:17 बजे होगा। होलिका दहन के लिए मुहूर्त शाम के समय 06:26 बजे से रात 08:52 बजे तक रहेगा। इस मुहूर्त में होलिका दहन करना शुभदायी माना जाएगा।
होलिका दहन में ध्यान रखने वाली बात– होलिका दहन भद्रा के समय में कभी नहीं करना चाहिए। भद्रा रहित मुहूर्त में ही होलिका दहन शुभ होता है। इसके अलावा चतुर्दशी तिथि, प्रतिपदा एवं सूर्यास्त से पूर्व कभी भी होलिका दहन नहीं करना चाहिए।
होलिका पूजा– हालिका दहन से पूर्व होलिका की पूजा की जाती है। होलिका के पास पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके बैठ जाए। अब सबसे पहले गणेश और गौरी जी की पूजा करें। फिर ‘ओम होलिकायै नम:’ से होलिका का, ‘ओम प्रह्लादाय नम:’ से भक्त प्रह्लाद का और ‘ओम नृसिंहाय नम:’ से भगवान नृसिंह की का उच्चारण करते हुए पूजा करें। इसके बाद बड़गुल्ले की 4 मालाएं लें, एक पितरों के नाम, एक हनुमान जी के लिए, एक शीतला माता के लिए और एक अपने परिवार की होलिका को समर्पित कर दें। अब होलिका की तीन या सात बार परिक्रमा करते हुए कच्चा सूत लपेट दें। इसके बाद लोटे का जल तथा अन्य पूजा सामग्री होलिका को समर्पित कर देंवें। इसके बाद धूप, गंध, पुष्प आदि से होलिका की पूजा करें। फिर अपनी मनोकामनाएं कह दें। साथ ही गलतियों की क्षमा मांग लें।
होलिका दहन विधि– अब होलिका पूजा के बाद जल से अर्घ्य दें। इसके बाद होलिका दहन मुहूर्त के मुताबिक होलिका में अग्नि प्रज्वलित कर दें। होलिका के आग में गेंहू की बालियों को सेंक लें। बाद में उनको खा लें, इससे आप सदैव निरोग रहेंगे।