जानिए योग का विद्यार्थियों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है

खबरें अभी तक। योग आज अपने महत्त्व और उपयोगिता के कारण दुनिया में फ़ैल रहा है। लेकिन भारत में अभी भी जिस पैमाने पर योग का चलन युवाओं में होना चाहिए उसकी कमी अखरती है। योग को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों-कॉलेजों में भी योग के प्रचार प्रसार पर ध्यान देना चाहिए तभी पूरा भारत योग के प्रति जागरुक हो पाएगा और स्वस्थ जीवन यापन कर पाएगा।

योग विद्यार्थी जीवन में संजीवनी के सामान है…योग शरीर, मन और आत्मा को नियंत्रित करने में मदद करता है। शरीर और मन को शांत करने के लिए यह शारीरिक और मानसिक अनुशासन का एक संतुलन बनाता है। इसलिए स्कूलों-कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों को योग का ज्ञान होना आवश्यक है…योग पढ़ाई में ध्यान केंद्रीत और मन को शांत करने में मदद करता है।

आजकल के जीवनशैली के अनुसार योग का हर स्कूल-कॉलेजों में होना बहुत जरुरी हो गया है। आज कल के युवा ज्यादातर मानसिक तनाव से जुझते रहते है। जिसके चलते वे कभी आत्महत्या जैसे कदमों को भी उठा देते है….इसलिए यदि हर स्कूल में योगा की शिक्षा दी जाएगी तो ऐसे मामलो में कमी आएगी…साथ ही बच्चे स्वस्थ और शारीरिक रुप से चुस्त रहेंगे।

योग शिक्षा जितनी कम उम्र से ली जाये, उतना ही शरीर को ज्यादा लाभ पहुंचाती है और वैसे भी बच्चों का शरीर बड़ों की तुलना में ज्यादा लचकदार होता है इसलिए बच्चे चीजों को जल्दी और आसानी से ग्रहण कर ले जाते हैं। आजकल के बच्चे पहले के बच्चों की तुलना में घर से बाहर कम खेलने जाते है, जिस वजह से बच्चे गैजेट्स आदि के सिवाय और कहीं अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते जिसके कारण कारण बच्चों में शिक्षा के प्रति भी उदासीनता देखी जाने लगी है, जिसका मूल कारण है तन-मन का अस्वस्थ होना।

योग बच्चों के मन-मस्तिष्क को उसके कार्य के प्रति जागरूक करता है। इसलिए विद्यार्थियों को प्रारंभ से ही योग शिक्षा देना बहुत जरूरी है। योग से बच्चों की सहनशीलता बढ़ती है और मन शक्तिशाली होता है। योगाभ्यास से मन-मस्तिष्क का संतुलन बना रहता है, जिससे विद्यार्थियों में आत्मविश्वास बढ़ता है और बच्चें मन लगाकर पढ़ाई करते है।