चौहार घाटी के देवताओं के गुरों ने की देव खेल, प्राचीन समय से चली आ रही है देव खेल की प्रथा

खबरें अभी तक। अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में प्राचीन संस्कृति को संजोने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस कड़ी में छोटी काशी मंडी में शिवरात्रि महोत्सव के छठे दिन चौहार घाटी के देवी देवताओं के गुरों ने देव खेल की। गुर खेल के माध्यम से इलाके की सुख समृद्धि व रक्षा की कामना की गई। देव खेल प्राचीन समय से होती आ रही है, लेकिन वक्त बीतने के साथ यह प्राचीन संस्कृति बेहद कम देखने को मिलती है। इस संस्कृति को बरकरार रखने के लिए बीते वर्ष से शिवरात्रि महोत्सव में देव खेल का आयोजन किया जा रहा है।

वीरवार को मंडी के सेरी मंच पर हुई देव खेल में घाटी के नौ देवी देवताओं व गुरों ने भाग लिया। देव खेल के दौरान एडीएम मंडी श्रवण मांटा व सर्व देवता समिति के प्रधान शिवपाल शर्मा ने शिरकत की। देवता के गुरों ने पांरपारिक वेशभूषा में नंगे पांव देव खेल की और इलाके की समृद्धि के लिए इस परंपरा को निभाया। मान्यता है कि राजाओं के समय से ही देव खेल होती थी। राजा भी पहले देवताओं का आशीर्वाद लेते थे और बाद में उनकी परीक्षा भी लेते थे। जिसे देव खेल के माध्यम से निभाया जाता था।

सर्व देवता समिति के अध्यक्ष शिवपाल शर्मा ने बताया कि देव खेल प्राचीन परंपरा है। इसके माध्यम से सुख समृद्धि की कामना की जाती है। उन्होंने बताया कि मुख्य तौर चौहार घाटी के प्रमुख देवी देवता व गुर देव खेल करते हैं। वर्तमान में यह देव खेल का प्रचलन बेहद कम हो गया है। प्राचीन संस्कृति को बरकरार रखने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

बता दें कि अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में दूसरी बार देव खेल का आयोजन किया गया है। इस देव खेल को देखने के लिए श्रद्धालुओं का खूब हजूम उमड़ा। पुलिस पहरे में यह देव खेल की जाती है ताकि कोई खलल न पड़े। राजाओं के समय से जारी यह देव खेल आज भी प्रशासन व सर्व देवता समिति के प्रयासों से जीवंत है। देव खेल में देवी देवताओं के गुरों व कारदार अहम भूमिका है।