कालका-शिमला हेरिटेज मार्ग पर उतरा 115 साल पुराना स्टीम इंजन, ब्रिटिश सैलानियों ने किया सफर

ख़बरें अभी तक । कालका-शिमला रेलवे हेरिटेज मार्ग पर बुधवार को 115 साल पुराने स्टीम इंजन के साथ ब्रिटिश सैलानियों ने सवारी की. बता दें कि आज हेरिटेज मार्ग पर ऐतिहासिक स्टीम लोकोमोटिव इंजन ‘केसी-520 फिर नजर आया. रेलवे ने शिमला से कैथलीघाट के लिए इस इंजन को रवाना किया, इसकी बुकिंग ब्रिटिश सैलानियों ने करवाई थी. इस दौरान ब्रिटिश सैलानियों ने शिमला से कैथलीघाट तक 21 किलोमीटर का सफर स्टीम इंजन से जोड़े गए दो लग्जरी कोच सीटी 12 व 13 में तय किया. कालका-शिमला रेलवे मार्ग पर काफी समय बाद इस इंजन को चलाया गया है. शिमला-कालका रेल लाइन विश्व धरोहर का दर्जा पाने वाली तीसरी रेल लाइन है। 10 जुलाई 2008 को यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर का दर्जा दिया है. दार्जिलिंग रेलवे और नीलगिरि रेलवे को भी विश्व धरोहर का दर्जा प्राप्त है. शिमला से कैथलीघाट व वहां से इस स्टीम इंजन को वापिस शिमला के लिए रवाना किया गया. रेलवे अधिकारी ने बताया कि सात ब्रिटिश सैलानियों ने इस इंजन की बुकिंग करवाई थी. हेरिटेज मार्ग पर लंबे समय के बाद छुक-छुक की आवाज़ सुनाई दी. स्टीम इंजन में भाप के पिस्टन में आगे पीछे चलने और बाहर निकलने से छुक-छुक की आवाज पैदा होती है. स्टीम इंजन में बजने वाली सीटी भाप के दबाव से बजती है. डीजल इंजन के मुकाबले स्टीम इंजन की सीटी ज्यादा तीखी और दूर तक सुनाई देने वाली होती है.