इस बार 24 जनवरी को है मौनी अमावस्या,जानें व्रत विधि

खबरें अभी तक। माघी अमावस्या या मौनी अमावस्या माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन होता है। यह इस बार 24 जनवरी को पड़ रहा है। इस पावन दिन में गंगा स्नान करने का बड़ा ही महत्व है। मान्यता तो यहां तक है कि इस समय गंगा का जल अमृत के समान होता है। इतना ही नही बल्कि गंगा स्नान के बाद दान पुण्य करने की भी मान्यता है। इस खास दिन में भगवान विष्णु तथा पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है। इस व्रत की खास बात है मौनी अमावस्या के दिन पूरे व्रत काल में मौन रहना।

मौनी अमावस्या: पूजा मुहूर्त- इस मास की अमावस्या तिथि का प्रारंभ: 24 जनवरी दिन शुक्रवार को तड़के 02:17 बजे से।अमावस्या तिथि का समापन: 25 जनवरी दिन शनिवार को तड़के 03 बजकर 11 मिनट पर।

इस व्रत के बारें में विस्तार से बताए तो मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान के बाद मौन व्रत का संकल्प लेना चाहिए। भगवान विष्णु की प्रतिमा को पीले फूल, केसर, चंदन, घी का दीपक और प्रसाद के साथ पूजन किया जाना चाहिए। भगवान का ध्यान करने के बाद विष्णु चालीस या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए। फिर किसी ब्राह्मण को दान दक्षिणा देना भी इश व्रत में अच्छा माना जाता है। मंदिर में दीप दान करके, सांयकाल धूप-दीप से आरती अवश्य की जानी चाहिए। इसके पश्चात श्रीहरि विष्णु को पीले मीठे पकवान का भोग लगाएं। गाय को मीठी रोटी या हरा चारा खिलाने के बाद व्रत खोलना चाहिए।

पूजा विधि- भगवान विष्णु की पूजा के दौरान पीपल के वृक्ष की भी पूजा करें। सात ही उसकी परिक्रमा करें। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, पीपल के जड़ में भगवान विष्णु, तने में शिवजी तथा अग्रभाग में ब्रह्माजी का वास होता है। पीपल की पूजा से सौभाग्य की वृद्धि होती है तथा घर धन-धान्य से भर जाता है। मौनी अमावस्या के दिन मौन धारण करके व्रत समापन करने से मुनि पद की प्राप्ति होती है। इस दिन मौन व्रत रखकर मन को संयम में रखने का विधान है। इससे मनोबल बढ़ोतरी होती है।

बता दें कि इस वर्ष की मौनी अमावस्या विशेष है। इस दिन सुबह 9 बजकर 56 मिनट पर शनि राशि परिवर्तन करके अपनी राशि मकर में प्रवेश करेंगे। इसके साथ अमावस्या को शनिदेव का जन्म भी हुआ था। इसिलिए इसे खास माना जाता है।