हरियाणा मंडी बोर्ड के अधिकारियों ने किया लाखों का घोटाला, सालों तक बोर्ड को लगाया चूना

खबरें अभी तक। पंचकूला सेक्टर-6 स्थित हरियाणा स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड (मंडी बोर्ड) के हेड ऑफिस में बड़ा घोटाला सामने आया है। मंडी बोर्ड के छह अधिकारियों ने छह साल तक डिपार्टमेंट की आंखों में धूल झोंकते हुए लाखों रुपए का गबन बड़ी प्लानिंग से किया ताकि किसी को पता ही न चले।

चौंकाने वाली बात यह है कि अलग-अलग कोटेशन बिल, टूअर और काम दिखाकर अपने नाम पर चैक कैश करवाए गए। 2013 से शुरू हुआ ये घोटाला 2019 तक चलता रहा। घोटाले की बात सामने आने पर इन अधिकारियों के खिलाफ यहां सेक्टर-5 पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया है। आरोपियों पर आईपीसी की धारा 409, 420 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

दरअसल में सेक्टर-6 स्थित हरियाणा स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड का मंडी बोर्ड भवन में हेड ऑफिस है। यहां से किसानों के लिए पूरे हरियाणा की पॉलिसी तय की जाती है। वहीं, ग्रामीण एरिया की डेवलपमेंट के वर्क भी किए जाते हैं।

इन अधिकारियों ने किया घोटाला

मंडी बोर्ड में घोटाला करने वालों में सिरसा के रहने वाले और एक्सईएन पी एल पाहुजा का नाम सबसे पहले है। पाहुजा अब रिटायर्ड हो चुके हैं। बोर्ड के एक्सईएन अजय कादियान भी लाखों रुपए के घोटाले में शामिल हैं। कादियान अभी हरियाणा पावर जेनरेशन कॉर्पोरेशन में डेपुटेशन पर तैनात हैं। एक्सईएन दिलबाग सिंह भी इस घोटाले में शामिल रहे हैं। दिलबाग सिंह अब रिटायर्ड हो चुके हैं, वे अब जीरकपुर के मोतिया रॉयल सिटी में रहते हैं। बोर्ड के हेड ऑफिस में तैनात डिविजनल अकाउंट अफसर रुचिका शर्मा भी इस मामले में आरोपी हैं,  रुचिका सेक्टर-21 की रहने वाली हैं। सेक्टर-14 में रहने वाला बोर्ड का हेड क्लर्क सुरेश गोयल और सेक्टर-2 में रहने वाली हेड क्लर्क अनु गुप्ता भी मामले में आरोपी हैं।

ऐसे किया घोटाला

पिछले कई सालों से ये खेल चलता आ रहा था। 2013 से चला ये खेल 2019 तक जारी रहा। घोटाले में चीफ अकाउंट अफसर खुद शामिल होने के कारण किसी को कुछ पता ही नहीं चलता था। क्योंकि हेड क्लर्क और एक्सईएन सभी डॉक्यूमेंट्स को पूरा करते थे। उसके बाद अकाउंट ब्रांच से चैक जारी होता था। चैक सेल्फ जारी किया जाता था। उसके बाद बोर्ड के पैसे बैंक से निकलवाए जाते थे। कुछ कोटेशन वर्क, इलेक्ट्रिकल्स विंग से जुड़े कामों को दिखाया जाता था। जो भी कोई नया एक्सईएन यहां पोस्टेड होता था, वो भी इसमें शामिल होता रहा। डिपार्टमेंट के अनुसार अभी तक अनुमान है कि ये घोटाला एक से डेढ़ करोड़ तक हो सकता है। इसके लिए अभी इन्वेस्टिगेशन की जा रही है।

मंडी बोर्ड ने खुद भी की इन्क्वायरी

इस बारे में मंडी बोर्ड की ओर से खुद भी इन्क्वायरी की गई। बताया गया है कि 2013 से 2019 तक किस-किस के लाइनों से कब-कब चैक जारी किए गए और वे कहां से कैश करवाए गए। इस दौरान अमाउंट और जिम्मेवार अधिकारी का नाम भी सामने आया है। इस बारे में डिपार्टमेंट में एक शिकायत आई, जिसके बाद चीफ एडमिनिस्ट्रेटर ऑफिस ने इन्क्वायरी शुरू की थी।  इन्क्वायरी में ही अधिकारियों की पोल खुलकर सामने आई है।

मंडी बोर्ड ने अपनी इन्क्वायरी में साफ-साफ कहा है कि 1 अगस्त 2013 से लेकर 31 मार्च 2019 तक यहां करोड़ों का घोटाला किया गया है। अभी तक 21 लाख से ज्यादा की अमाउंट सामने आ चुकी है। बाकी अकाउंट के लिए अभी इन्क्वायरी की जा रही है। मंडी बोर्ड की और से पुलिस को रिकॉर्ड देकर मामला दर्ज करने के लिए कहा गया है। घोटाला सामने आते ही हरियाणा स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड के चीफ एडमिनिस्ट्रेटर की ओर से यहां तैनात अधिकारियों पर डिपार्टमेंटल एक्शन भी शुरू कर दिया है। रिटायर्ड अधिकारियों को भी नोटिस जारी किए जा रहे हैं।