ख़बरें अभी तक। Tulsi Vivah 2019: कार्तिक शुक्ल एकादशी (08 नवंबर) शुक्रवार को देवोत्थान एकादशी मनेगी। इस दिन तुलसी विवाह कराने की भी परंपरा है। तुलसी विवाह को लेकर दो तारीखें सामने आ रही है। जिसके अनुसार कुछ जगह 8 नवंबर को तो कुछ इलाकों में 9 नवंबर को तुलसी विवाह कराया जायेगा। इस विवाह की रस्में एक आम विवाह की तरह ही होती है जिसमें विदाई भी जरूरी है। माना जाता है कि तुलसी विवाह से कन्या दान जैसा पुण्य फल प्राप्त होता है।
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इसी एकादशी के दिन सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु चार महीने की योग निद्रा के बाद जाग्रत होते हैं। मान्यता है कि इस दिन तुलसी विवाह के माध्यम से उनका आह्वाहन कर उन्हें जगाया जाता है। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान शालिग्राम और तुलसी के पौधे का विवाह हिन्दू रीति-रिवाज से संपन्न किया जाता है।
तुलसी विवाह का आयोजन करना अत्यंत मंगलकारी और शुभ माना जाता है। कहते हैं कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करने और शालीग्राम के साथ तुलसी विवाह कराने से सभी कष्टों का निवारण होता है और भक्त को श्री हरि की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
तुलसी विवाह की तिथि और शुभ मुहूर्त
देवउठनी एकादशी की तिथि: 8 नवंबर 2019
एकादशी तिथि आरंभ: 07 नवंबर 2019 की सुबह 09 बजकर 55 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त: 08 नवंबर 2019 को दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक
द्वादशी तिथि: 9 नवंबर 2019
द्वादशी तिथि आरंभ: 08 नवंबर 2019 की दोपहर 12 बजकर 24 मिनट से
द्वादशी तिथि समाप्त: 09 नवंबर 2019 की दोपहर 02 बजकर 39 मिनट तक
तुलसी विवाह का महत्व
हिन्दू धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु समेत सभी देवगण चार महीने की योग निद्रा से बाहर आते हैं, यही वजह है कि इस एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शालिग्राम और तुलसी का विवाह संपन्न करवाने से वैवाहिक जीवन में आ रही समस्याओं का अंत हो जाता है। साथ ही जिन लोगों के विवाह नहीं हो रहे हैं उनका रिश्ता पक्का हो जाता है। इतना ही नहीं मान्यता है कि जिन लोगों के घर में बेटियां नहीं है उन्हें तुलसी विवाह कराने से कन्यादान जैसा पुण्य मिलता है।
तुलसी विवाह की पूजा विधि
– तुलसी विवाह करते समय तुलसी का पौधा खुले में रखें।
– तुलसी विवाह के लिए मंडप को गन्न से सजाएं।
– इसके बाद तुलसी जी पर सबसे पहले लाल चुनरी ओढ़ाएं। उन्हें श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें।
– इसके बाद तुलसी के गमने पर भगवान विष्णु के दूसरे स्वरूप यानी शालिग्राम को रखें फिर उस पर तिल चढ़ाएं।
– अब दूध और हल्दी तुलसी जी और शालिग्राम भगवान को अर्पित करें।
– तुलसी विवाह के समय मंगलाष्टक का पाठ जरूर करें।
– एक घी का दीपक तुलसी जी के समक्ष जलाएं और उन्हें भोग में दाल और गुड़ अर्पित करें।
– तुलसी की कथा पढ़ें और भजन कीर्तन करें।
– एक लाल कपड़े में लपेट कर नारियल तुलसी माता को अर्पित करें।
– घर में किसी पुरुष को शालिग्राम जी को हाथ में उठाकर तुलसी जी की सात बार परिक्रमा करवानी चाहिए।
– ध्यान रहे कि तुलसी जी को शालिग्राम भगवान के बाईं तरफ बिठाएं।
– पूजा खत्म होने के बाद सारी सामग्री और तुलसी का पौधा मंदिर में दे आएं।