पुलिस,वकीलों के बीच झड़प, हरियाणा के वकीलों ने किया वर्क सस्पेंड

खबरें अभी तक। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में हुई हिंसा मामले को लेकर देश के कई हिस्सों में वकीलों का विरोध-प्रदर्शन किया गया. राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ के वकीलों ने दिल्ली के वकीलों का समर्थन किया है. हरियाणा के वकीलों ने तीस हजारी कोर्ट में हुई हिंसा के खिलाफ सोमवार को कामकाज ठप रखकर विरोध जताया.

हरियाणा बार काउंसिल ने बयान जारी कर कहा कि दिल्ली पुलिस ने तीस हजारी कोर्ट में वकीलों के खिलाफ जिस तरह की बर्बरतापूर्ण कार्रवाई की. उसको बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. हम सभी दिल्ली पुलिस की इस कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हैं. दिल्ली पुलिस की फायरिंग में वकीलों को गंभीर चोट आई है. यह घटना दिल्ली पुलिस के क्रिमिनल व्यवहार का सबूत है.

वहीं झज्जर और बहादुरगढ़ कोर्ट में सोमवार को वकीलों ने किसी भी केस की पैरवी करने के लिए कोर्ट के अंदर नहीं गए. सभी वकील शांतिपूर्ण कोर्ट परिसर में बैठे रहे. बहादुरगढ़ बार एसोसिएशन से जुड़े अधिवक्ताओं ने कहा कि पुलिस ने वकीलों पर लाठीचार्ज और गोली चलाना लोकतंत्र की हत्या है. इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिए और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. पंचकूला में भी सोमवार को वकीलों ने वर्क सस्पेंड किया है. जिसमें हरियाणा और पंजाब हाईकार्ट समेत चंडीगढ़ की जिला अदालतों में भी वकीलों ने वर्क संस्पेंड किया है.

दिल्ली हाई कोर्ट ने तीस हजारी कोर्ट में वकीलों और पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़प के न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. यह जांच रिटायर जस्टिस एसपी गर्ग के नेतृत्व में की जाएगी और 6 सप्ताह में रिपोर्ट देनी होगी.. हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को घायल वकीलों के बयान दर्ज करने और आरोपी पुलिस अधिकारियों को निलंबित करने का भी निर्देश दिया है.

बतां दें की दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट के बाहर 2 नवंबर को पुलिस और वकीलों के बीच जो हिंसक झड़प का मुद्दा और भी गरमा गया है. मंगलवार सुबह से ही दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर जवानों ने प्रदर्शन शुरू किया और वकीलों के खिलाफ एक्शन की मांग की. मुख्यालय के बाहर सैकड़ों की संख्या में जवान जुटे हैं और नारेबाजी कर रहे हैं. पुलिस कमिश्नर की ओर से जवानों से प्रदर्शन वापस लेने की मांग की गई है, लेकिन जवान हैं कि वापस हटने का नाम नहीं ले रहे हैं.