हरियाणा में मानसून लगातार नौवें साल रहा कमजोर, 14 जिले रह गए प्यासे

ख़बरें अभी तक। मानसून हरियाणा से विदा होने की राह पर चल पड़ा है। अगले पांच दिनों में बारिश की संभावना नहीं है। सावन-भादो के बीतने के बावजूद मानसून सीजन के 106 दिनों में प्रदेश में औसतन 41 मिमी कम बारिश दर्ज की गई है। पड़ोसी राज्य राजस्थान में औसत से ज्यादा बारिश हुई है तो हरियाणा में मानसून लगातार नौवें साल भी कमजोर साबित हुआ है। चिंताजनक बात यह है कि प्रदेश में 14 जिलों में जमीन प्यासी रह गई है। खेतों में लगी खरीफ फसलों पर इसका असर पड़ने लगा है।

मौसम विभाग के मुताबिक एक जून से शुरू हुए मानसून सीजन में देश में जहां सामान्य से चार प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई है। वहीं हरियाणा में 41 प्रतिशत कम मेध बरसे हैं।भूजल स्तर और कम होने से डार्क जोन की संख्या बढ़ने की आशंका है, क्योंकि आमतौर पर 15 सितंबर तक प्रदेश से विदा होने वाला मानसून अब सुस्त पड़ चुका है। हालाँकि मौसम विभाग के निदेशक ने इस चीज का जिक्र किया कि क्यूंकि हरियणा सरकार ने बारिश के पानी को कंज़रवे किया है वो एक बेहतरहीन प्रयास है और सभी राज्यों को यह फॉलो करना चाहिए।

बता दें 2009, 2012, 2014 और 2015 में भी कमोबेश मानसून की यही स्थिति थी। पिछले कई दिनों से किसानों को बारिश का इंतजार है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक सितमबर महीने के अंत तक बारिश की सम्भावना है और क्यूंकि राजस्थान में बारिश से बाढ़ जैसे असर है और हरियाणा में कुछ क्षेत्र साथ लगते है वहां पर बारिश का कुछ असर जरूर होगा।