फिर शुरू होगी 11सौ साल पुरानी छड़ी यात्रा, उत्तराखंड से पलायन को रोकना इस यात्रा का उद्देश्य

ख़बरें अभी तक। धार्मिक यात्रा शुरू होने से पहले छड़ी यात्रा निकालने की परंपरा सदियों पुरानी है. अमरनाथ यात्रा हो या मणिमहेश यात्रा इस यात्रा को शुरू होने से पहले भगवान की छड़ी ले जाकर मंदिर में स्थापित की जाती है. ऐसी ही एक छड़ी यात्रा उत्तराखंड के बागेश्वर से भी चारों धामों के लिए 11सो सालों से जूना अखाड़ा के साधु संत छड़ी यात्रा निकालते थे. मगर कुछ समय से यह यात्रा किसी कारण बस बंद कर दी गई थी. मगर आज फिर यह छड़ी यात्रा बड़ी धूमधाम से बागेश्वर से निकलकर हरिद्वार जूना अखाड़े माया देवी मंदिर पहुंची और अब यह नवरात्रों में बड़े आयोजन के बाद चारों धामों के लिए छड़ी यात्रा हरिद्वार से रवाना की जाएगी दोबारा शुरू की जा रही. इस यात्रा से उत्तराखंड में हो रहा पलायन को रोकना भी एक उद्देश्य है.

छड़ी यात्रा किसी भी धार्मिक यात्रा के शुरू होने से पहले यात्रा का उद्घोष करने के लिए निकाली जाती है और यह यात्रा सनातन परंपरा से लोगों को जोड़ने की एक अनूठी पहल भी है. उत्तराखंड के बागेश्वर से निकलने वाली इस छड़ी यात्रा को 11 सो साल पहले जूना अखाड़े के साधु संतों द्वारा शुरू की गई थी. उत्तराखंड की एक छड़ी यात्रा चारों धाम की यात्रा कर वापस हरिद्वार जूना अखाड़े माया देवी मंदिर में समाप्त होती थी. मगर कई वर्षों से किसी कारण वर्ष यह छड़ी यात्रा बंद कर दी गई थी. मगर आज एक बार फिर जूना अखाड़े के प्रयासों के बाद यह छड़ी यात्रा फिर से शुरू हो रही है. आज बागेश्वर से छड़ी यात्रा बड़े ही धूमधाम से हरिद्वार पहुंची और अब नवरात्रों में बड़ी संख्या में साधु संत इस यात्रा में इकट्ठा होकर इसको चारों धाम के लिए रवाना करेंगे.