मिट्टी के दीपक व बर्तन बनाने के पारंपरिक तरीकों में आ रहा बदलाव, इलेक्ट्रिकल मोटर का हो रहा इस्तेमाल

ख़बरें अभी तक: जिला सिरमौर के कई इलाकों में रोशनी के पर्व दिवाली की तैयारी को लेकर कुम्हार द्वारा मिट्टी के दीपक बनाना प्रारंभ कर दिया है। मेहनत भरे इस काम में पहले की बजाय धीरे-धीरे कुछ बदलाव किए जा रहे हैं पहले जहां पत्थर और सीमेंट की चाक को हाथ द्वारा घुमाना पड़ता था। वहीं अब इलेक्ट्रिकल मोटर के द्वारा चाक को घुमाया जाता है। आसपास के कुम्हारों द्वारा मिट्टी के दीए बनाना आरंभ कर दिया गया है। जिन्हें बाजार में बेचा जाएगा। इस पुश्तैनी काम में बुजुर्गों से लेकर बच्चे तक हाथ बंटा रहे हैं। माजरा के कुम्हारों ने बताया कि वह त्योहारों के लिए करवे गड़बडे,अहोई अष्टमी के लिए झकरा झकरी व दिवाली के लिए दिए बना रहे है।

कुम्हारों का कहना है कि मिट्टि के बर्तन में मेहनत व लागत बहुत लगती है लोगों को आज के समय मे मिट्टी से बने बर्तन व दिए महंगे लगते है लोग उन्हें उनके द्वारा बनाये गए हस्तकला नहीं देखते सिर्फ मिट्टी के सोच कर महंगे सोचते है। वहीं कुम्हारों का कहना है यह भी है कि सरकार को भी कुम्हारों के लिए प्रोत्साहन राशि देनी चाहिए।  हरियाणा उत्तराखंड राजस्थान में कुम्हारों के लिए सरकार के द्वारा कई स्कीमें चलाई जा रही है परंतु हिमाचल प्रदेश में कुम्हारों के लिए कोई भी सरकारी सुविधा उपलब्ध नहीं करवाई गई है, वहीं आज के दिनों में मिट्टी से बनाए बर्तनों की कीमत अधिक होने के कारण लोग इन बर्तनों को कम खरीद रहे हैं।